जब हम देह के भान में रहते हैं तो बीमारियां होती है…ब्रह्मकुमारी कुमारी पूनम बहन जी
काशीपुर। जब हम देह के भान में रहते हैं तो बीमारियां होती है, संबंधों का दुख भी हमें अनुभव होता है लेकिन जब अपने को आत्मा समझते हैं तो हीलिंग पावर हमारे शरीर में जाती है और हम स्वस्थ होने लगते हैं। संबंधों के दुखों से भी न्यारे हो जाते हैं। आज से आप यह सोचो कि मेरे सुख के दिन शुरू हो गए तो “जैसा हम सोचते हैं वैसा हम बन जाते हैं।” हमारे हर विचार में एनर्जी होती है जिसका हमारे पूरे शरीर पर प्रभाव पड़ता है। जितना आत्म चिंतन करेंगे उतना आपकी आंतरिक शक्ति शक्तिशाली होती जाएगी। यह बातें इंदौर से पधारी प्रख्यात तनाव मुक्ति विशेषज्ञा ब्रह्माकुमारी पूनम बहन जी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय काशीपुर के तत्वाधान में रामलीला मैदान में आयोजित 9 दिवसीय निशुल्क अलविदा तनाव शिविर के अंतिम दिन के सत्र परमात्मा के महा वाक्य मुरली सुनाते हुए कही। उन्होंने बताया कि यह महावाक्य स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर उच्चरित किए हैं। मुरली नए-नए सकारात्मक एवं शक्तिशाली विचारों का भंडार है। इस ज्ञान को जीवन में उतारकर हम अपना चरित्र उच्च बना सकते हैं जिससे भारत विश्व गुरु बन जाएगा। ब्रह्माकुमारी पूनम बहन ने मुरली सुनाते हुए आगे कहा कि जितना हम अपने को आत्मा समझते हैं उतना ही हम उसके सातों मूल गुण, शांति, प्रेम, सुख, आनंद, पवित्रता, शक्ति, ज्ञान से भरपूर होते जाते हैं।आत्मा में सातों गुणो की कमी से ही तनाव होता है। तनाव मुक्ति के लिए हमें मोबाइल का उपयोग लिमिटेड करना चाहिए। फिर उन्होंने मेडिटेशन द्वारा आत्मा को शरीर से डिटेच करने का अभ्यास कराया वह आत्मा के सातों गुणो की अनुभूति कराई। मुरली में आत्मा समझने का अगला लाभ उन्होंने बताया कि स्वयं को आत्मा समझने से पाप कटते जाएंगे। कलयुग अंत में पांच विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) के बस हम गलत कर्म कर लेते हैं। इन पाप कर्मों के कारण ही बीमारियां होती हैं। स्वयं को आत्मा समझकर याद करेंगे तो खुशी वह हल्कापन बढ़ता जाएगा। यही पाप कटने की निशानी है। अपने को आत्मा समझने से बुद्धि भटकेगी नहीं, एकाग्रता बढ़ेगी। मेडिटेशन एक कला है मन को एकाग्र करने की। मन को परमात्मा में लगाने की तो कुछ समय सीखने में तो लगेगा ही। फिर बहुत धूमधाम से गुड बाय टेंशन उत्सव मनाया गया। उसके बाद इस उत्सव के अंतर्गत 9 दिन का प्रोग्राम कैसा लगा उसे लाफिंग बुद्ध ने हंस डांस करते हुए बताया। अलविदा तनाव शिविर के अंतिम दिन इस कार्यक्रम की मुख्य प्रेरणा स्रोत व काशीपुर सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी चंद्रावती बहन जी जो विगत 50 वर्षों से ईश्वरीय सेवा में समर्पित रहकर करीब 30 वर्षों से काशीपुर में अपनी सेवाएं दे रही है, ने कहा कि 23 मई से आज तक पूरे 9 दिन तक इस शिविर में सुनने व अभ्यास करने से सभी के चेहरे चमक रहे हैं। कल से 15 दिन का शिविर के आगे का निशुल्क एडवांस कोर्स काशीपुर के आवास विकास स्थित सेवाकेंद्र में ब्रह्मकुमारी बहनों द्वारा कराया जाएगा।