योग बनाता है जीवन को संतुलित :उषा जैन

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रुद्रपुर योग हमारे शरीर, मन, चेतना और आत्मा को संतुलित करता है। योग करने से हमें दैनिक जीवन में होने वाली समस्याओं और परेशानियों का मुकाबला करने में सहयोग मिलता है। योग स्वयं के बारे में समझ, जीवन का प्रयोजन और ईश्वर से हमारे संबंध की जानकारी विकसित करने के लिए सहायता करता है।
व्यक्ति की शारीरिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए और शरीर का सर्वांगीण विकास करने में योग की बहुत अधिक आवश्यकता हैै। योग से शारीरिक और मानसिक शांति मिलती हैै। आसन से शरीर में दृढ़ता आती हैै। मुद्राओं के अभ्यास से स्थिरता आती हैै। प्राणायाम के अभ्यास से शरीर में हल्कापन महसूस होता हैै और ध्यान करने से आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति होती हैै।
योगासन करने से शरीर में लचीलापन तथा ताकत मिलती हैै। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैै और भविष्य में होने वाली बीमारियों से भी बचा जा सकता हैै। यदि व्यक्ति प्रतिदिन योग का अभ्यास करता है, तो वह स्वयं को जीवन भर के लिए रोग मुक्त कर रहा हैै।
योग को सही तरीके से करना और एक योग्य शिक्षक के नियंत्रण में करना जरूरी है,योग से शरीर मन और आत्मा तीनों का उपचार किया जाता हैै। इन्हीं से संपूर्ण शरीर बनता है अर्थात इन तीनों का स्वस्थ रहना अति आवश्यक है योग के द्वारा बहुत से स्वास्थ्य लाभ को प्राप्त किया जा सकता हैै।
शारिरिक रूप से स्वास्थ्य का लाभ
शरीर के लिए व्यक्ति को प्रतिदिन जल्दी उठकर उषा पान जरूर करना चाहिए। इसके पश्चात स्वच्छ वायु सेवन करना चाहिए और शुद्ध वायु में प्राणायाम का अभ्यास करना सेहत के लिए लाभदायक है। इसके बाद आसनों का अभ्यास करना चाहिए। आसन करते वक्त अपनी शारीरिक स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।
आसन करते समय प्रतियोगात्मक दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए और इसके बाद शरीर को आराम भी देना चाहिए। योग करने से शरीर की बल बुद्धि और उर्जा में वृद्धि होती है। शरीर बलवान और ऊर्जावान बनता है शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है वह रोगों से लड़ने के लिए तैयार होता है और उन पर विजय भी प्राप्त करता है और शरीर को रोग मुक्त करता है।
मानसिक रूप से स्वास्थ्य की प्राप्ति
योग के द्वारा जिस प्रकार शारीरिक स्वास्थ्य मिलता है, उसी प्रकार से मानसिक शांति भी मिलती है। प्राणायाम का निरंतर अभ्यास करने पर व्यक्ति स्वयं को हल्का महसूस करता है और मन में बहुत से नकारात्मक विचारों का भी नाश होता है। और सकारात्मक विचारों की वृद्धि होती है और व्यक्ति सकारात्मक बनता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है इससे व्यक्ति का मन स्वच्छ होता है और मंत्र उच्चारण करने पर व्यक्ति आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता चला जाता है व ईश्वर की आराधना करने पर मन और भी हल्का हो जाता है।
सामाजिक रुप से स्वास्थ्य की प्राप्ति-
प्रत्येक व्यक्ति समाज में रहता है और समाज में कई प्रकार के लोग कई तरह के विचार व्यक्ति को प्रभावित करते हैं। और इन सभी का असर उसके दिमाग पर पड़ता है। लेकिन योग करने पर व्यक्ति इन सभी को आसानी से झेल लेता है। व्यक्ति पर इन सब का कोई असर नहीं होता क्योंकि वह पूरी तरह से सकारात्मक रहता है। किसी के विचारों से उसके मन के भाव नहीं बदलते, व्यक्ति एक जैसा ही बना रहता है, उसमें भिन्नता नहीं होती यही योग की विशेषता है।
आध्यात्मिकता रुप से स्वास्थ्य की प्राप्ति
योग करने पर आध्यात्मिकता अपने आप आ जाती हैं। क्योंकि योग की शुरुआत भगवान के नाम से ही होती है और व्यक्ति का मन और आत्मा संतुष्ट हो जाती है। तभी व्यक्ति का मन आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता है। आध्यात्मिकता से उसे मानसिक स्वास्थ्य मिलता है। और व्यक्ति के मन में सकारात्मकता आती है। सकारात्मकता के कारण व्यक्ति किसी का अहित करने के बारे में सोचता तक नहीं यही आध्यात्मिक स्वास्थ्य है।
योग से आत्म साक्षात्कार
योग में ध्यान के माध्यम से व्यक्ति का आत्म साक्षात्कार होता है। उसे अपनी आत्मा का ज्ञान हो जाता है। वह स्वयं को जान लेता है, पहचान लेता है और उसका चित शांत हो जाता है। उसके मन में विचारों में ठहराव आ जाता है। ध्यान से मानवीय चेतना के सभी स्तरों को प्रकाशित किया जाता है। मन को जागृत करने की प्रक्रिया तथा अवचेतन मन में दबी हुई ग्रंथियों का निराकरण करेने में चेतना के उच्च अवस्था तक पहुंचाने की विधि ध्यान है। इसके द्वारा समूचे शरीर की चिकित्सा होती है। जिस अवस्था में केवल धेय मात्र की ही वृद्धि होती है तथा ध्यातव्य के बीच में कोई भी दूसरी वृत्ति नहीं होती वही ध्यान है, इससे ही आत्म साक्षात्कार होता है।


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