वसुन्धरा दीप डेस्क, हाथरस। करीब ढाई साल पहले हुए बूलगढ़ी प्रकरण में विशेष न्यायालय एससी-एसटी अधिनियम में गुरुवार को फैसला सुनाया जाएगा। इसके लिए अलीगढ़ जेल से चारों आरोपितों को अदालत लाया गया है। इसको लेकर पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था की तैयारी की हैं। न्यायालय के फैसले पर सभी की निगाह टिकी हैं।
गांव बूलगढ़ी में 14 सितंबर 2020 को अनुसूचित जाति की एक युवती पर हमला हुआ था। युवती के भाई ने गांव के ही गांव के ही संदीप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में युवती के बयानों के आधार पर रवि, रामू और लवकुश के नाम और धाराएं बढ़ाई गईं। ठाकुर समाज के इन चारों युवकों को तभी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। युवती का इलाज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के जवाहर लाल नेहरू (जेएन) मेडिकल कालेज में चला। यहां से 28 सितंबर को दिल्ली रेफर किया गया। वहां के सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर को मौत हो गई थी। इससे पहले ही राजनीति होने लगी थी। शव गांव लाया गया। प्रशासन ने रात में ही अंतिम संस्कार करा दिया था, जिसका राजनीतिक दलों के लोगों ने विरोध किया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, भाम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद समेत देशभर के नेता, संगठनों से जुड़े लोग बूलगढ़ी पहुंचे थे। सीबीआइ ने इस मामले में 67 दिन की जांच के बाद 18 दिसंबर 2020 को चारों आरोपितों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की धाराओं में चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की। चार जनवरी 2021 को पहली सुनवाई हुई। सीबीआइ ने 104 लोगों को गवाह बनाया था, जिनमें से 35 लोगों की गवाही हुई थी। आज गुरुवार को फैसला आना है। इसके चलते पुलिस-प्रशासन ने भी तैयारियां कर ली हैं। कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। मृतका पक्ष की अधिवक्ता सीमा कुशवाह, मृतका के स्वजन न्यायालय आ चुकी हैंम सीबीआई के आने का इंतज़ार है।
68 तारीखें- 35 लोगों की गवाही; आज फैसले की घड़ी
बहुचर्चित बूलगढ़ी प्रकरण में फैसले की घड़ी आ गई है। कोर्ट में दो साल दो माह सुनवाई के दौरान 68 तारीखें पड़ी और 35 लोगों की गवाही हुई। घटना के बाद आंदोलन, प्रदर्शन, राजनीति से हाथरस जनपद देशभर में चर्चाओं में आ गया था। एसआइटी के बाद सीबीआइ ने इस प्रकरण की जांच की थी। इस मामले में एसपी समेत पांच पुलिसकर्मियों पर गाज भी गिरी।