







पूर्व मेयर रामपाल सिंह के खिलाफ आपराधिक मामला हाईकोर्ट ने किया खारिज
वरिष्ठ अधिवक्ता विपुल शर्मा ने की जोरदार पैरवी
नैनीताल,उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूर्व मेयर रामपाल सिंह के खिलाफ दर्ज एक पुराने आपराधिक मामले को बड़ी राहत देते हुए खारिज कर दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं की कानूनी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते और इस प्रकार कार्यवाही को जारी रखना न्याय की मूल भावना के विरुद्ध होगा।
विवाद की शुरुआत एफआईआर संख्या 152/2019 से हुई थी, जिसे कांताप्रसाद गंगवार नामक व्यक्ति ने रुद्रपुर थाना क्षेत्र में दर्ज कराया था। शिकायत में यह आरोप लगाया गया था कि रामपाल सिंह ने ₹10 लाख की मांग की और कहा कि पैसा न देने पर झूठे मुकदमे में फंसा देंगे।
मामला भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 528 के अंतर्गत याचिका के रूप में उच्च न्यायालय पहुंचा, जहाँ न्यायालय की एकल पीठ ने विस्तारपूर्वक विचार करते हुए कहा कि न तो वसूली (धारा 389) और न ही आपराधिक धमकी (धारा 506) जैसी धाराओं के लिए आवश्यक तथ्य शिकायत में परिलक्षित होते हैं। अदालत ने यह भी इंगित किया कि विरोध याचिका चार साल की असामान्य देरी से दायर की गई थी, जिससे संदेह उत्पन्न होता है कि शिकायत वास्तविक पीड़ा के बजाय निजी रंजिश का परिणाम है।
रामपाल सिंह की ओर से अधिवक्ता विपुल शर्मा ने पक्ष रखते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया कि शिकायतकर्ता स्वयं नगर निगम की ज़मीन पर अतिक्रमण किए हुए था, और रामपाल सिंह ने अपने मेयर पद के दौरान विधिसम्मत कार्रवाई की थी, जिससे नाराज़ होकर उसने यह प्राथमिकी दर्ज कराई।
न्यायालय ने पाया कि शिकायत में न कोई वित्तीय लेन-देन सिद्ध होता है और न ही किसी प्रकार की भयावह धमकी का कानूनी प्रमाण है। ऐसे में निचली अदालत द्वारा पारित संज्ञान आदेश दिनांक 19 जून 2024 को रद्द करते हुए अदालत ने आपराधिक मुकदमा मि.अ.क्र.सं. 64/2020 को भी खारिज कर दिया।
इस आदेश से पूर्व मेयर को बड़ी राहत मिली है और एक लंबी चली आ रही कानूनी अनिश्चितता का अंत हुआ है।