जानिए क्यो …विजिलेंस टीम ने की बड़ी कार्यवाही, कोरोनो माहामारी के दौरान हुई थी बड़ी गडबडी… पढ़िये पूरी खबर

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जानिए क्यो …विजिलेंस टीम ने की बड़ी कार्यवाही, कोरोनो माहामारी के दौरान हुई थी बड़ी गडबडी… पढ़िये पूरी खबर

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(वसुंधरा दीप डेस्क) दिल्ली। दिल्ली विजिलेंस की जांच में यह खुलासा हुआ कि कोरोना महामारी के दौरान मैसर्स तिरूपति मेडिलाइन्स प्रा0 लि0 नाम की एक कम्पनी ने स्वास्थ्य विभाग, दिल्ली सरकार के अधिकारियों से सांठगांठ कर सरकार को धोखा देते हुए फर्जी तरीके से बिल पास करा कर कई लाखों रुपये डकार लिए हैं, जिसके एवज में स्टरलाइज्ड दस्ताने व एन-95 मास्क जो स्वास्थ्य विभाग, दिल्ली सरकार को देना था व नहीं दिए। जाँच करने वाली कमेटी में विशेष सचिव, विजिलेंस, स्वास्थ्य विभाग, दिल्ली सरकार एस के जैन, सीएमओ डिजीएचएस (महानिदेशक, स्वास्थ्य विभाग, दिल्ली सरकार) डॉ अर्चना प्रकाश, एडी, डिजीएचएस डॉ सुषमा जैन, कार्यालय प्रमुख, सीपीए, डिजीएचएस, डॉ अरविंद मोहन एवं  फार्मेसी अधिकारी डॉ हर्ष गौंड़ शामिल थे। कमेटी की जाँच में पाया गया कि कोविड महामारी काल के दौरान स्टरलाइज्ड दस्तानों की आपूर्ति एवं प्राप्ति में अन्तर है, टीम को यह बताया गया कि डीएचएस (निदेशालय, स्वास्थ्य विभाग, दिल्ली सरकार ने माल प्राप्त किया है, जबकि ई-वे बिल के अनुसार आइटम प्राप्त नहीं हुए थे किन्तु भुगतान किया गया था।

 

दिनाँक 19 जून2024 को दिल्ली के सतर्कता निदेशालय (डी ओ वी) के मीटिंग हॉल में हुई विजिलेंस की बैठक में पूछे गए सवालों में पता चला कि पूरा मामला ही गोलमाल है।

जाँच में पाई गई विसंगतियों में पता चला है कि स्टरलाइज्ड दस्ताने जो निर्माता द्वारा  04 फरवरी 2021 को आपूर्ति किये गए थे, वास्तव में वितरक (मैसर्स तिरुपति मेडिलाइन्स प्रा0 ली0) द्वारा प्राप्त किये गए थे जिनकी मात्रा 75,000 थी जिसका ई-वे बिल 15 दिसम्बर, 2021 दर्शाई गयी। आपको बता दें कि तत्काल स्टोर प्रभारी, एस एण्ड पी ,  डिजीएचएस (मुख्यालय) ने आइटम की रसीद 14 दिसम्बर 2021 को दर्ज की थी, जो वास्तविक रसीद का दिनाँक है उससे एक पहले जो विजिलेंस की टीम की नजर में संदेह उत्पन्न करता है। इसी के आगे व्यापार एवं कर विभाग, जिएनसीटीडी से सत्यापित करने पर विजिलेंस को पता चला कि मैसर्स तिरुपति मेडिलाइन्स प्रा0 लि0 के 10  दिसम्बर 2021 के चालान नं- 1067 के माध्यम से 75 हजार+75 हजार यानी कुल 1 लाख 50 हजार दास्ताने की आपूर्ति की गई। ई-वे  मॉड्यूल में उल्लेख किया गया है कि माल 10 दिसम्बर 2021 से पहले दिल्ली में दर्ज नहीं किया गया था, फिर वितरक ने 10 नवंबर 2021 को चालान कैसे बनाया?

 

विजिलेंस की टीम को यह स्पष्ट होने पर कि निर्माता द्वारा प्रदान की गई सामग्री वितरित नहीं की गई थी, लेकिन मैसर्स तिरुपति मेडिलाइन्स को भुगतान किया गया था।  उक्त बैठक में डीएचएस के अधिकारियों को प्रकरण से जुड़े दस्तावेजी साक्ष्य दिखाए गए जो पर्याप्त उत्तर नहीं दे सके और उन्होंने वितरक से आवश्यक स्पष्टीकरण माँगने के लिए समय मांगा। निर्माता द्वारा 8 दिसम्बर 2021 को 75 हजार स्टरलाइज्ड दस्तानों की आपूर्ति की गई, किन्तु दिल्ली में वितरक ने स्टोर प्रभारी, एस एण्ड पी, डिजीएचएस (मुख्यालय) को 2 लाख 85 हजार दस्ताने के आपूर्ति की गई जो विजिलेंस को काल्पनिक लगती है। विजिलेंस ने अपनी पूछताछ में डीएचएस के द्वारा मिले जवाबों से यह स्पष्ट कराया कि स्टोर को 2 लाख85 हजार स्टरलाइज्ड दस्ताने कैसे मिले जबकि आपूर्तिकर्ता ने 75 हजार की आपूर्ति की थी और इसका अतिरिक्त भुगतान कैसे किया गया।

 

विजिलेंस की पूछताछ में डिजीएचएस के अधिकारी निर्माता द्वारा प्राप्त मात्रा और स्टोर द्वारा प्राप्त मात्रा के बीच अंतर होने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। विजिलेंस ने अपनी जांच में साक्ष्य के आधार पर बताया कि 4 दिसम्बर 2021 को निर्माता द्वारा भेजे गए स्टरलाइज्ड दस्तानों के 1 लाख जोड़े कभी दिल्ली में आये ही नही बल्कि यह खेप हरियाणा में प्राप्त हुई। विजिलेंस ने अपनी जांच में बताया कि ई-वे बिल के अनुसार ये वस्तुएं हरियाणा के रेवाड़ी में रात करीब 09:59 बजे (20 दिसम्बर 202) को प्राप्त हुई। लेकिन स्वास्थ्य सेवा निदेशालय दिल्ली ने यह दिखा दिया कि 1 लाख जोड़े दास्ताने 20 दिसम्बर 2021 को प्राप्त हो गया है। अर्थात मैसर्स तिरुपति मेडिलाइन्स प्रा0 लि0 को वास्तविक आपूर्ति के बिना ही भुगतान कर दिया।

इसी प्रकार विजिलेंस की जांच में पता चला कि डिजीएचएस के अधिकारियों द्वारा एन95 मास्क में भी घोटाला किया गया है। जाँच में सामने आया कि ई-वे बिल की तारीख के अनुसार दिल्ली में माल की आपूर्ति 2 दिसम्बर 2020 को हुई थी जबकि चालान के अनुसार माल की प्राप्ति 26 नवम्बर 2020 थी।इस विसंगति को डिजीएचएस दूर नहीं कर सके। विजिलेंस की टीम ने बैठक में कहा कि माल की प्राप्ति से पहले ई-वे बिल होना1यह दर्शाता है कि माल वास्तव में प्राप्त नहीं हुआ था और भुगतान कर दिया गया था। डिजीएचएस के अधिकारियों ने इस बात पर भी अनभिज्ञता जताई कि सामग्री डीएचएस को 26 नवम्बर 2020 को कैसे प्राप्त हुई, जबकि आपूर्तिकर्ता ने वास्तव में 30 नवम्बर 2020 को एन-95 मास्क की आपूर्ति की थी।

उक्त पूरे प्रकरण में विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन वस्तुओं को वास्तव में माल प्राप्त किये बिना केवल कागजी लेनदेन किया जा सकता है, लेकिन आपूर्ति कर्ता को सरकारी खजाने और असहाय रोगियों की कीमत पर भुगतान किया गया है।


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