रुद्रपुर। उत्तराखंड सरकार एवं ऊधमसिंहनगर जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान की सार्वजनिक घोषणा के बाद कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ एवं उनके कुछ समर्थकों द्वारा धरने की नौटंकी है तथा इस धरने में अतिक्रमण हटाओ अभियान से प्रभावित लोगों की बजाय वे लोग दिखाई दिए जो मजार न तोड़े जाने की मांग पर बुलाए गए थे।
पूर्व विधायक किच्छा राजेश शुक्ला ने उक्त आरोप लगाते हुए आज के कांग्रेसियों के धरने को एक फ्लॉप शो और नौटंकी करार दिया। शुक्ला ने कहा कि 26 मई को किच्छा में गरीबों के खोखे तोड़े गए और विधायक बेहड़ वहां क्षेत्र में रहते हुए भी नहीं गए और जब मैं गोरखपुर से लौटा और इस मुद्दे पर किच्छा एसडीएम का घेराव किया तो 1 जून को बेहड़ ने प्रेस में बयान देकर इतिश्री कर ली।
शुक्ला ने कहा कि जब उनके द्वारा इस संबंध में मुख्यमंत्री से वार्ता कर अभियान को स्थगित कराने का निर्णय कल जिला प्रशासन से करवा दिया तो आज बेहड़ धरने की नौटंकी कर रहे हैं।
पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि दरअसल बंडिया ,पंतनगर, नगला आदि क्षेत्रों के गरीबों के उजड़ने से बेहड़ परेशान नहीं है, उन्हें सिर्फ मजारों की चिंता है, जिले के एक बड़े पुलिस अधिकारी से मिलीभगत करके उन्हें तुष्टिकरण की राजनीति के चलते लालपुर व बेनी मजार को नहीं तोड़ने तथा गरीबों को उजाड़ने का सौदा किया, यदि बेहड़ वास्तव में गरीबों की चिंता कर रहे थे तो वे 26 मई को ही सड़क पर क्यों नहीं उतरे?
पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि जब वह विधायक थे तब उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नगला को उजड़ने से बचा लिया था, आज यह साबित हो गया कि किच्छा में कमजोर जनप्रतिनिधि है, किच्छा में तो नगरपालिका स्वयं मुनादी कराकर बेदी मोहल्ला वासियों को अपना घर तोड़ने का ऐलान कर रही थी, अगर इस मुद्दे पर भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा संघर्ष कर उपजिलाधिकारी को नहीं घेरा गया होता तो बेदी मोहल्ला को भी नगरपालिका ने उजाड़ दिया होता।
पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि 10 वर्ष वे विधायक रहे 2012 से 17 तक विपक्ष में तथा 2017 से 22 तक सत्तापक्ष के विधायक रहे तथा 10 वर्षाे के कार्यकाल में उन्होंने विधानसभा क्षेत्र में किसी को नहीं दिया, आज विपक्षी विधायक होने का रोना रोने वाले लोग कमजोर और पक्षपाती हैं इसलिए वे लोगों की रक्षा करने के बजाय नौटंकीयां व बयानबाजी तथा तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं तथा इस मुद्दे को तराई बनाम पहाड़ का मुद्दा बनाने की कुत्सित राजनीति कर रहे हैं। वरना बेहड़ यह स्पष्ट करें कि 23 साल पूर्व बने राज्य की घटनाओं का उल्लेख करते हुए क्या साबित करना चाहते हैं?




