दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव में AAP को बहुमत मिलता दिख रहा है। चुनाव आयोग के मुताबिक, 250 सीटों में से AAP 31 सीटों पर आगे है और 104 जीत चुकी है। वहीं, BJP दूसरे नंबर पर चल रही है। पार्टी ने अब तक 83 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है और 19 पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं, कांग्रेस को 5 सीटों पर विजय मिली है। 5 पर आगे चल रही है। एमसीडी में बहुमत के लिए 126 सीटें चाहिए। यहां 15 साल से BJP का कब्जा रहा।
पहले देखते हैं, किसे कितनी सीटें मिल रहीं
लीड | पार्टी | जीत |
31 | आम आदमी पार्टी | 104 |
19 | भाजपा | 83 |
5 | कांग्रेस | 5 |
2 | निर्दलीय | 1 |
AAP के जश्न के दो फोटो…
अब पूरी काउंटिंग को सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं…
1. शुरुआत में कभी भाजपा, तो कभी आप आगे रही
सुबह आठ बजे जैसे ही शुरुआती रुझान आए भाजपा और आप में कड़ी टक्कर देखने को मिली। शुरुआती दो घंटे में दोनों दलों की सीटों में 10 से 20 सीटों का अंतर रहा। कभी भाजपा आगे तो कभी आप आगे दिखी। लेकिन सुबह 10.30 बजे के बाद हालात बदले और आप ने भाजपा पर बढ़त बना ली।
2. आप के दफ्तर में सुबह से हलचल, पहले जश्न, मायूसी फिर जश्न
एग्जिट पोल में AAP की जीत के बाद बुधवार सुबह से ही पार्टी के कार्यालय में गहमा-गहमी शुरू हो गई थी। ऑफिस को पीले और नीले गुब्बारों से सजाया गया है। पिछली बार इन्हें सफेद और नीले कलर के गुब्बारों से सजाया गया था। पर जैसे ही रुझान आते रहे आप के दफ्तर में पहले जश्न, मायूसी फिर जश्न का माहौल दिखा।
3. कांग्रेस का दफ्तर सूना रहा, ताला लगा दिखा
कांग्रेस का दफ्तर सुबह से ही सूना रहा। दफ्तर के गेट पर ताला लगा दिखा।
4. भाजपा कार्यालय में सुबह कोई नेता नहीं पहुंचा
भाजपा कार्यालय में सुबह कोई बड़ा नेता नहीं दिखा। कार्यकर्ता बहुत कम दिखे। एक कार्यकर्ता ने कहा कि एग्जिट पोल में आप की बड़ी जीत दिख रही थी। शायद यह इसका ही असर है। लेकिन हमें विश्वास है कि हम 100 से ज्यादा सीटें लेकर आएंगे। हालांकि, जैसे-जैसे नतीजे आते दिखे ऑफिस में हलचल बढ़ गई।
5. इस बार 3% कम हुआ था मतदान
दिल्ली नगर निगम के 250 वार्डों के लिए 4 दिसंबर को मतदान हुआ था। चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार करीब 50% मतदान हुआ है। 2017 में 53.55% मतदान हुआ था। यानी अब तक के आंकड़ों की तुलना करें तो इस बार 3% तक कम वोटिंग हुई है।
नेताओं के बयान…
- BJP दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि इंतजार कीजिए। BJP को जीत मिलेगी। मेयर बीजेपी का ही बनेगा। नतीजे आने दीजिए। केजरीवाल को हम 100 सीटों से नीचे समेट देंगे। सांसद मनोज तिवारी ने कहा- आज देखना ये अहम है कि कांटे की टक्कर में जीत किसकी होती है। एक हिसाब से ये आप की हार है। वे कहते थे, हम 200 सीटें लाएंगे। ऐसे लोगों का चेहरा देखना चाहिए।
- दिल्ली में BJP नेता हरीश खुराना ने कहा, “हमने कोरोना काल में भी कचरे के निपटारे के लिए काम किया। भाजपा ने काम किया है। हमें विश्वास है कि अगला मेयर बीजेपी का ही होगा। पिछली बार भी सर्वे में बीजेपी को 50 सीटें मिली थीं, लेकिन हम दो-तिहाई बहुमत से जीते थे।
- AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा- मेयर आप का होगा। बीजेपी ने दिल्ली को कचरे में ढक दिया था, इसे साफ किया जाएगा और एमसीडी में अरविंद केजरीवाल की सरकार बनेगी।
- आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उनकी पार्टी 180 से पार जाएगी। आम आदमी पार्टी को एक तरफा जीत मिलेगी। 180 के बाद कहां रुकेंगे रुझान कह नहीं सकते। पोस्टर बैलेट में सरकारी आदमी वोट डालता है। वह डरता भी है। सरकारी आदमी सोचता है कि कहीं कोई देख तो नहीं लेगा।
एग्जिट पोल के उलट रहे नतीजे, हालांकि सरकार आप की बन रही
नतीजे एग्जिट पोल के अपोजिट दिख रहे हैं। ज्यादातर सर्वे में आप को 150 से ज्यादा सीटें दी थीं।
MCD क्या काम करती है?
- जनता को सुविधाएं प्रदान करना। इसमें स्वास्थ्य सुविधाएं, सड़कों, फुटपाथ और बाजारों की सफाई, ई-रिक्शा, रिक्शा और ठेलों को लाइसेंस देना शामिल है।
- प्राइमरी स्कूलों का संचालन और सड़क, ओवर ब्रिज, सार्वजनिक शौचालय जैसे पब्लिक प्लेस का निर्माण-रखरखाव।
- वाटर सप्लाई, ड्रेनेज सिस्टम मैनेजमेंट, स्लम एरिया में डेवलपमेंट के काम।
- पार्क, लाइब्रेरी, स्ट्रीट लाइट्स और पार्किंग क्षेत्रों का रखरखाव। कई पार्किंग के ठेके भी MCD देती है।
- MCD के जरूरी कामों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट शामिल है, जिसमें यह सुनिश्चित करना होता है कि हर घर से और कलेक्शन पॉइंट्स से कचरा इकट्ठा किया जाए।
- MCD का काम यह सुनिश्चित करना है कि इमारतों का निर्माण उसके द्वारा निर्धारित गाइडलाइंस के अनुसार हो।
- MCD श्मशान घाट चलाने और जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड रखने के लिए जिम्मेदार है।
दिल्ली की राजनीति में MCD इतनी अहम क्यों?
दिल्ली की सत्ता के तीन पावर सेंटर्स हैं। दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और MCD। केंद्र सरकार की शक्तियां तो उसके पास ही रहेंगीं। अब मान लीजिए दिल्ली में और केंद्र में विरोधी दलों की सरकारें हैं तो केंद्र में सत्ताधारी दल चाहता है कि MCD उसके पास रहे और वह दिल्ली को अपने हिसाब से रेगुलेट कर सके। वहीं, दिल्ली की सरकार चाहती है कि MCD भी उसके कब्जे में आ जाए तो वह ज्यादा आजादी से और अपने हिसाब से विकास कर सकेगी।