मेरा तो कुलदीपक बुझ गया, राजा तेरा भी बुझ जायेगा, हाय बेटा हाय बेटा, तू यूँ कहता मर जायेगा……………..

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मेरा तो कुलदीपक बुझ गया, राजा तेरा भी बुझ जायेगा, हाय बेटा हाय बेटा, तू यूँ कहता मर जायेगा……………..

रूद्रपुर- नगर की प्रमुख बस स्टैंड वाली रामलीला में आज द्वितीय दिवस में रावण – वेदवती संवाद श्रवण कुमार की मातृ-पितृ भक्ति, श्रवण कुमार की मृत्यु, सीता जन्म व राम जन्म तक की सुंदर लीला का मंचन हुआ। आज लीला का षुभारंभ नगर के प्रख्यात पर्यावरणविद, क्षेत्र में हजारो पेड़ लगाकर पर्यावरण रक्षा का संदेष देनें वाले सेवानिवृत बैंक प्रबंधक स0 मनमोहन सिंहव उनकी धर्मपत्नी जसविन्दर कौर नें प्रभु श्रीरामचन्द्र जी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलन कर किया। श्री रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों एवं सदस्यों नें अतिथिगणों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।

 

विगत दिवस की लीला में सबसे पहले गणेष वंदना व श्रीराम वंदना संपन्न हुयी। प्रथम दृष्य मंचन में रावण और वेदवती में संवाद हुआ। रावण वेदवती को जंगल में अकेली पाकर उसकी सुंदरता का बखान करता है। वेदवती बार-बार रावण को चेतावनी देती है लेकिन वह नहीं मानता। वह सती वेदवती का गला पकड़ लेता है। गुस्साई वेदवती हुंकार भरती है और कहती है मरण इस बार होता है, सती नारी का जीवन में, प्रण इस बार होता है। इसके बाद वेदवती श्राप देती है कि अगले जन्म में वह रावण की मृत्यु का कारण बनेगी।

 

इसके बाद श्रवण कुमार कथा का मंचन हुआ। इसमें मातृपितृ भक्त श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता को एक कांवड़ में बिठाकर तीर्थ यात्रा करा रहे थे। श्रवण अपने प्यासे माता-पिता के पीने के लिए जल किसी जलाशय से लेने गये थे और अयोध्या के राजा दशरथ भी वहाँ शिकार खेलने गये थे। दशरथ ने समझा ने कोई जंगली जानवर जल पी रहा है और इसी भ्रम में उन्होंने शब्दभेदी बाण चला दिया जिससे श्रवण कुमार स्वर्ग सिधारे। पुत्र शोकाकुल दंपति ने शाप दियमेरा तो कुलदीपक बुझ गया, राजा तेरा भी बुझ जायेगा, हाय बेटा हाय बेटा, तू यूँ कहता मर जायेगा।

इसके बाद के दृष्यो में राजा जनक के स्वर्ण हल चलाते समय उन्हें एक घड़ा प्राप्त होता है। जब राजा जनक उस घड़े को देखते है तो उसमेंउन्हें एक कन्या की प्राप्ति होती है, जिसका नाम सीता रखा जाता है। उधर अयोध्या में राजा दषरथ के महलों में भी राम, लक्ष्मण, भरत षत्रुघन का जन्म होता है। महलो में ढोल-नगाड़े बज उठते है।

 

आज की लीला में भगवान गणेष के रूप में आषीश ग्रोवर आषू, रावण की भूमिका में रमन अरोरा, वेदवती की भूमिका में सुमित आनन्द, श्रवण कुमार-पुलकित बाम्बा, माता- नरेष छाबड़ा, पिता षंातनु- मनोज मुंजाल, दषरथ-संजीव आनन्द, जनक- अनिल तनेजा, वषिश्ठ- मनोज मुंजाल, कौषल्या-सुमित आन्नद, सुमित्रा- हर्श नरूला, कैकयी-राजा, सुमन्त-सचिन आन्नद, बालिका सीता-आष्वी तनेजा़, बालक राम- निवात जग्गा, बालक लक्ष्मण- अदित अरोरा, भरत- कृतिश गैड़ा व षत्रुघन- कपिल  आदि थे।

 

इस दौरान श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, कोशाध्यक्ष अमित गंभीर सीए, समन्यवयक नरेष षर्मा, अमित अरोरा बोबी, राजेष छाबड़ा, मोहन लाल भुडडी, महावीर आजाद, राकेष सुखीजा, कर्मचन्द राजदेव, सुभाश खंडेलवाल, प्रेम खुराना, आषीश ग्रोवर आषू, हरीष सुखीजा, मनोज मंुजाल, विषाल भुड्डी, राम कृश्ण कन्नौजिया, अनिल तनेजा, रमन अरोरा, कुक्कू षर्मा, गौरव राज बेहड़, सौरभ राज बेहड़, विजय विरमानी, बंटी बाम्बा, कृतिका बाम्बा, आषीश मिड्ढा,  राजकुमार कक्कड़, सचिन मंुजाल, सुभाश तनेजा, रोहित नागपाल, अमन गुम्बर, सन्नी आहूजा अमित वर्मा, कपिष सुखीजा, बिट्टू ग्रोवर, रवि अरोरा, चिराग कालड़ा, रोहित जग्गा, सचिन तनेजा, षिवम जग्गा, आदि उपस्थित थे।

सहित हजारो रामभक्त मौजूद थे। श्रीरामलीला रामभक्त सुषील गाबा एवं संदीप धीर ने किया।

 

श्री सनातन धर्म युवा मंच नें सभ्ंााली सुरक्षा व्यवस्था एवं टिकट व्यवस्था- इस वर्श भी मुख्य रामलीला में सुरक्षा व्यवस्था एवं कुर्सी पास व चंदे आदि को मंच तक पहुंचाने की व्यवस्था श्री सनातन धर्म युवा मंच के जिम्मे है। मंच के सदस्यों द्वारा षालीनतापूर्वक आग्रह कर समस्त व्यवस्थाओं को सुचारू कर आये सभी रामभक्तों को मंचन हेतु आवष्यक जानकारी भी दी जाती है। पुलिस प्रषासन के अधिकारियों से वार्ता कर रामलीला मैदान में कार्यरत पुलिस जवानों के साथ सामंजस्य बैठा कर सुरक्षा व्यवस्था व यातायात व्यवस्था को भी सुचारू रखा जाता है।  इस सेवा कार्य में अमित अरोरा बोबी, विजय विरमानी, रवि अरोरा, कर्मचंद राजदेव, आषीश मिड्ढा, सचिन तनेजा, रोहित जग्गा, अमित चावला, चिराग कालड़ा द्वारा सक्रिय सहयोग दिया जा रहा है।

 

 

 

श्रवण कुमार की भूमिका में पुलकित बाम्बा की मार्मिक अभिनय

एक बार फिर श्रवण कुमार की भूमिका में पुलकित बाम्बा नें समां बांध दिया। उनके मार्मिक अभिनय नें दर्षकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी। खासतौर पर दषरथ का तीर लगनें के बाद उनके अभिनय नें नयी उचाईयां छू ली। श्री रामलीला कमेटी द्वारा नये कलाकारों को ऐसे महत्तवपूर्ण भूमिकायें सौंपकर नये प्रयोग करनें व नयी पीढ़ी को आगे लानें की दीर्घकालीन योजना के फलस्वरूप नये कलाकारों के लिये श्री रामलीला मंच के द्वार खुलनें की नीति असरकार साबित हो रही है।


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